मेरा प्रिय साहित्यकार: तुलसीदास कक्षा 12 महत्वपूर्ण निबंध



**मेरा प्रिय साहित्यकार: तुलसीदास**


भारतवर्ष की समृद्ध साहित्यिक परंपरा में कई महान कवि और लेखक हुए हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज को दिशा दी और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया। इनमें से एक प्रमुख नाम गोस्वामी तुलसीदास का है। तुलसीदास मेरे प्रिय साहित्यकार हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को न केवल अध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया, बल्कि भक्ति और नैतिकता की शिक्षा भी दी।


जीवन परिचय

तुलसीदास का जन्म 1532 ई. में उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में हुआ था। उनका असली नाम रामबोला था। जन्म से ही उनका जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उन्होंने जीवन की कठिनाइयों का सामना करते हुए महान रचनाएं कीं। तुलसीदास को बचपन से ही रामकथा सुनने और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में रुचि थी। वे भगवान श्रीराम के परम भक्त थे, और उनका पूरा जीवन भगवान राम की भक्ति और उनकी महिमा का गुणगान करते हुए बीता।


 तुलसीदास की प्रमुख रचनाएं

तुलसीदास की सबसे प्रमुख रचना **'रामचरितमानस'** है, जिसे हिंदी साहित्य का एक अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है। यह ग्रंथ संस्कृत के वाल्मीकि रामायण पर आधारित है, लेकिन इसे तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा। रामचरितमानस न केवल भगवान राम के जीवन और आदर्शों का वर्णन करता है, बल्कि इसमें भारतीय समाज, संस्कृति और जीवन मूल्यों की भी गहरी झलक मिलती है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने **'हनुमान चालीसा'**, **'विनय पत्रिका'**, और **'कवितावली'** जैसी अद्भुत रचनाएं भी की हैं।


तुलसीदास का साहित्यिक योगदान

तुलसीदास का साहित्यिक योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके द्वारा रचित रामचरितमानस ने हिंदी भाषा को एक नई पहचान दी और इसे जन-जन तक पहुँचाया। इस ग्रंथ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे पढ़ने और सुनने से न केवल अध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन भी करता है। तुलसीदास की रचनाएं भक्ति, नैतिकता, सामाजिक समरसता और जीवन के उच्चतम आदर्शों की प्रेरणा देती हैं। उन्होंने भगवान राम को आदर्श पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया, जिन्होंने सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन किया।


 तुलसीदास के काव्य की विशेषताएँ

तुलसीदास के काव्य में सादगी, भक्ति, और धार्मिकता का अनूठा संगम मिलता है। उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है, जो आम जनमानस के दिलों तक पहुँचती है। उन्होंने समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखकर रचनाएं कीं, जिससे उनकी कविताएं और दोहे लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए। तुलसीदास ने अपने साहित्य के माध्यम से भगवान राम के चरित्र को मानवता के लिए आदर्श प्रस्तुत किया और लोगों को सन्मार्ग की प्रेरणा दी।


निष्कर्ष

तुलसीदास मेरे प्रिय साहित्यकार इसलिए हैं क्योंकि उनकी रचनाएं आज भी समाज के लिए उतनी ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं जितनी कि उनके समय में थीं। उनकी रचनाओं में भक्ति, प्रेम, करुणा और जीवन के आदर्शों का अद्भुत समन्वय है। तुलसीदास की वाणी हमें सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयों के बावजूद, यदि मनुष्य धर्म और सच्चाई के पथ पर चलता है, तो उसे परमात्मा की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

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